अथ मार्कंडेयस्तोत्रम्
मार्कंडेय नमस्तेऽस्तु
सप्तकल्पांतजीवन |
आयुरारोग्यसिद्ध्यर्थं
प्रसीद भगवन् मुने || १||
चिरंजीवी यथा त्वं तु
मुनीनां प्रवर द्विज |
कुरुष्व मुनिशार्दूल
तथा मां चिरजीविनम् || २||
आयुःप्रद महाभाग
सोमवंशविवर्धन |
महातप मुनिश्रेष्ठ
ममारोग्यप्रदो भव || ३||
आयुर्देहि यशो देहि
श्रियं देहि द्विषो जहि |
पुत्रान् पौत्रांश्च मे देहि
मार्कंडेय नमोऽस्तु ते || ४||
चिरंजीवि यथा त्वं भो
भविष्यामि तथा मुने |
रूपवान् वित्तवांश्चैव
श्रिया युक्तश्च सर्वदा || ५||
मार्कंडेय महाभाग
सप्तकल्पांतजीवन |
आयुरिष्टार्थसिद्ध्यर्थं
अस्माकं वरदो भव || ६||
मार्कंडेय महाभाग
सप्तकल्पांतजीवन |
आयुरारोग्यमैश्वर्यं
देहि मे मुनिपुंगव || ७||
|| इति मार्कंडेय स्तोत्रम् ||